चिंताहरण मुक्त मंडल एवं परमानन्द शोध संस्थान: एक परिचय
यह आध्यात्मिक संस्था ऐसे सभी जिज्ञासुओं के हित में लगी है जो विभिन्न मत मतांतरों से दीक्षा प्राप्त कर विभिन्न प्रकार के योग, कर्म, मंत्र, तंत्र, व्रत आदि कर चुके हैं तथा उनको फिर भी प्रभु प्राप्ति के नाम पर कुछ नही प्राप्त हुआ है । इस संस्था में विभिन्न धर्मों के मानने वाले साधक आध्यात्मिक उन्नति का लाभ उठा रहे हैं । यह संस्था साधक को जीते जी आध्यात्मिक उन्नति का अनुभव कराती है । संस्था के संस्थापक संत सद्गुरु श्री शिवानंद जी महाराज का अपने व्यतिगत अनुभव के आधार पर मत है कि ध्यान अभ्यास तथा सद्गुरु के मार्गदर्शन व सद्गुरु कृपा के द्वारा ही साधक को कालातीत होकर स्थायी मुक्ति मिल सकती है । संत सद्गुरु श्री शिवानंद जी महाराज अपनी शिक्षाएं बड़े ही सहज व साधारण तरीके से पेश करते हैं लेकिन उनका अर्थ गूढ होता है जो कि प्रत्येक आत्मा को मानव जीवन के वास्तविक उद्देश्य का बोध कराती हैं । साधक ध्यान में प्रत्येक स्थिति में अपनी आध्यात्मिक उन्नति के स्तर को देखता रहता है । इस संबंध में संतों ने भी कहा है कि :-
जब तक ना देखूँ अपनी नैनी तब तक ना पतीजूं गुरु की बैनी ॥
उक्त अनुभव करने के लिए सद्गुरु एसे होने चाहिए कि –
भृंग मता होइए जिह पासा, वो ही गुरु सत्य धर्मदासा ॥
गुरु को कीजै दंडवत कोटी कोटी प्रणाम ।
कीट न जाने भृंग को वो कर ले आप समान ॥
पारस में और संत में तू बड़ो अंतरों जान ।
वो लोहा सोना करे, संत कर ले आप समान ॥
गुरुदेव श्री शिवानंद जी महाराज हमेशा फरमाते हैं कि यदि कोई गुरु आपसे कहता है कि अमुक मंत्र जप लो, अमुक साधना कर लो मृत्यु उपरांत आपको मुक्ति मिल जाएगी तो यह झूठ है मुक्ति का सौदा जीते जी का है । सद्गुरु कबीर साहिब ने इस प्रकार के तथाकथित संतों पर अपनी वाणी द्वारा कड़ा प्रहार भी किया है । आज के समाज में तथाकथित संत महात्मा आपको अपनी प्यारी प्यारी वाणी के माध्यम से बोलते हैं कि संसार नश्वर है लोभ छोड़ो, मोह छोड़ो, साधारण जीवन जीयों और अफसोस की बात तो यह है कि वे स्वयं आराम, सुख तथा वैभव का जीवन व्यतीत कर रहे हैं और अपने आश्रमों की गद्दी अपने परिवार के सदस्यों को ही दे कर जा रहे हैं । गुरुदेव श्री शिवानंद जी महाराज बताते हैं कि भक्ति में अवगुण, बुराई, असत्यता, हिंसा और आलोचना के लिए कोई स्थान नही है । गुरुदेव श्री शिवानंद जी महाराज वेद, उपनिषद, भागवत गीता, रामायण, कुरान, गुरु ग्रंथ साहिब, बाइबल आदि ग्रन्थों का ब्यौरा देकर साधकों को अंतरीय ज्ञान से अवगत कराते हैं ।
इस आश्रम के संस्थापक संत सद्गुरु श्री शिवानंद जी महाराज साधकों को विभिन्न मत मतांतरों की पुस्तकों में न भटककर ध्यान अभ्यास कर व्यक्तिगत अनुभव प्राप्त करने पर जोर देते हैं वे हमेशा साधकों से यही कहते हैं कि अपने अंतर में प्रवेश करो और स्वयं देखो । संत सद्गुरु श्री शिवानंद जी महाराज का कहना है कि दुनिया के किसी भी मंत्र अथवा पवित्र शब्द, पाँच शब्द, ईश्वर के नाम, मंत्रो के समूह का जाप, यज्ञ, तीर्थ यात्रा आदि से पार ब्रह्म परमेश्वर की प्राप्ति नही हो सकती है उक्त सभी माध्यम काल निरंजन ( जो कि तीन लोको के स्वामी हैं ) की सीमा से ऊपर ले जाने के लिए असमर्थ हैं । सद्गुरुश्री शिवानंद जी स्वयं आगंतुक जिज्ञासुओं को सत्संग प्रवचन के माध्यम से अध्यात्म के विभिन्न रहस्य बताकर उनको आंतरिक ध्यान साधना से संबन्धित दीक्षा का ज्ञान प्रदान करते हैं । सद्गुरु श्री शिवानंद जी जिज्ञासुओं को सलाह देते हैं कि उन्हे सदैव –
- शुद्ध शाकाहारी रहना चाहिए ।
- शराब आदि नशीले पदार्थों का त्याग करना चाहिए ।
- उच्च चरित्रवान रहना चाहिए और किसी भी प्रकार के अनैतिक शारीरिक या मानसिक यौन संबंध नही बनाना चाहिए ।
यह संस्था उत्तर प्रदेश के फ़िरोज़ाबाद जिले में गाँव नंगला भादों के पास स्थित है । यह आध्यात्मिक संस्था पूरी तरह से अलाभकारी संस्था (NGO) है । जिसका किसी भी वाणिज्यिक या राजनैतिक संस्था से कोई संबंध नहीं है । अध्यात्म का लाभ प्राप्त करने के लिए आए किसी भी जिज्ञासु के लिए इस आश्रम में ठहरने और भोजन करने की नि:शुल्क व्यवस्था है । इस आश्रम में एक वृद्ध आश्रम भी है जिसमें वृद्धों के लिए नि:शुल्क भोजन तथा आवास की व्यवस्था है । यहाँ रहने वाले वृद्ध ध्यान तथा सत्संग में अपना समय व्यतीत करते हैं । संत सद्गुरु श्री शिवानंद जी महाराज सदैव समाज तथा साधकों के कल्याण के लिए लगे रहते हैं । कहा गया है कि -
वृक्ष कबहुँ नहि फल भखै, नदी न संचे नीर ।
परमारथ के कारणे, संतन धारा शरीर ॥
इस संस्था से जुडने के लिए कोई सदस्यता फीस नहीं है । यह संस्था उन सभी मनुष्यों की मदद के लिए सदैव अग्रसर है जो परमपिता परमेश्वर की खोज में हैं । परमपिता परमेश्वर की प्राप्ति के लिए संत सद्गुरु श्री शिवानंद जी महाराज हंस दीक्षा, समाधि दीक्षा तथा परमहंस दीक्षा ( सार नाम की दीक्षा ) नि:शुल्क प्रदान करते हैं । यह संस्था है जो किसी भी भक्त या अन्य व्यक्ति से किसी भी प्रकार की वित्तीय सहायता दान के रूप में नही मांगती है । यह संस्था के साधकों द्वारा उनकी स्वयं की इच्छा से दिये गए वित्तीय योगदान से संचालित हैं । इस संस्था की देश- विदेश में कोई शाखा नहीं है और न ही श्री महाराज जी सदगुरु देव श्री शिवानन्द जी महाराज कहीं कोई कार्यक्रम या भ्रमण आदि पर जाते हैं ।
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